: सरकारी सेवानिवृत्त कर्मचारियों के लेखनी को प्रकाशित कराने व लेखन के अधिकार को बहाल तथा उनकी पेंशन के अध्यादेश में संशोधन कराने हेतु।

महोदय, हाल ही में भारत सरकार के द्वारा एक अजीबोगरीब फैसला लिया गया जिसमें सरकारी सेवानिवृत्त कर्मचारियों को लेखन के लेख को प्रकाशित कराने का अधिकार पर अंकुश पाबंदी लगाई जा चुका है जिसके चलते कोई भी सरकारी कर्मचारी बगैर सरकारी विभाग के अनुमति के कोई भी संवेदनशील विषय पर लेख प्रकाशित नहीं कर सकेगा यदि वह ऐसा करता पाया जाता है तो उसकी पेंशन जप्त कर ली जाएगी, इस प्रकार का अध्यादेश पारित करने से कर्मचारियों के मूल अभिव्यक्ति अधिकारों का हनन है जिससे वह समाज में अपने विचारों को साझा नहीं कर सकेगा सरकार के द्वारा विभिन्न प्रकार की गुप्त खुफिया संवेदनशील विभागों को शामिल किया गया है सरकार ऐसा मान रही है कि लेख प्रकाशित करने से सरकारी कार्यों में बाधा उत्पन्न हो जाते है लेकिन बहुआयामी पार्टी कई ऐसे साक्ष्य प्रस्तुत करना चाहती है जिससे यह प्रमाणित होता है कि सरकार अपनी नाकामयाबियों को छिपाने के लिए ऐसे निर्णय ले रही है हाल ही में आरबीआई के गवर्नर के द्वारा एक पुस्तक प्रकाशित की गई थी जिसमें किस प्रकार किस तरीके से कंपनियां दिवालिया हो रही हैं का खुलासा किया गया सन 2020 अमर उजाला समाचार पत्र में छापा गया लेख जिसमें भारत के कई सैनिकों को अच्छी गुणवत्ता के गोला बारूद ना मिलने के कारण जान गवानी पड़ी इसी प्रकार भारत के प्रतिष्ठित पत्रिका में भारतीय सैनिकों को भरपूर भोजन ना मिल पाना और अच्छी गुणवत्ता रक्षा यंत्र उपलब्ध ना हो पाना सियाचिन जैसे मुद्दों का खुलासा किया गया है जो कहीं ना कहीं से सरकार पर सीधे तौर से प्रश्न खड़ा करती है जिसके चलते सरकार अपने प्रश्न के बचाव के चलते ऐसे निर्णय ले रही है। वाराणसी से पूर्व सैनिक सेवानिर्मित तेज बहादुर सिंह इसका एक जीता जागता उदाहरण है जिसने सैनिकों के खान पान की गुणवत्ता पर प्रश्न खड़े किए थे। जिसका परिणाम आम जनता व समाज के समक्ष आ चुका है अतः बहुआयामी पार्टी मांग करती है कि उपरोक्त सरकारी सेवानिवृत्त कर्मचारियों को लेखन के अधिकार व प्रकाशन के अधिकार को बहाल किया जाए और उनकी पेंशन रोके जाने के अध्यादेश को वापस किया जाए।