बहुआयामी ऑर्गेनाइजेशन प्रकाशित की गई पुस्तक नोबेल नहीं तो क्या! और विश्व में हमारा योगदान।

बहुत ही प्रसन्नता के साथ में आपके हांथ में यह पुस्तक (नोबेल नहीं तो क्या) भारतीय वैज्ञानिकों पर आधारित है जिसमें हम और हमारे लोगों को शामिल करते हुए भारत की संस्कृति व भारतीय लोगों के द्वारा किए गए महत्वपूर्ण विश्व स्तरीय उल्लेखनीय कार्य को सराहा गया है पिछले लंबे दशकों से भारत सरकार के द्वारा विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी क्षेत्रों में अत्यंत महत्वपूर्ण उल्लेखनीय कार्यों को करने के लिए अनेक पॉलिसियों बनाई जा रही हैं विश्व स्तर में नाम स्थापित करने के लिए अलग से मंत्रालय का भी गठन किया जा चुका है और दिन पर दिन भारतीय वैज्ञानिकों के द्वारा लगातार महत्वपूर्ण प्रयास किए जाते रहे हैं जिसके अंतर्गत अनेक प्रकार के खोजें इन्वेंशन भी किए गए पर जिस के प्रचार प्रसार को लेकर सरकारी गैर सरकारी संस्थाओं के द्वारा अनेक प्रकार की पत्र पत्रिकाएं भी प्रकाशित होती हैं कार्य का प्रकाशन तो होता है कार्य के पीछे गठित कमेटी टीम के बारे में जानकारी ना के बराबर होती है ऐसे में सामाजिक पुस्तकों का समाज हित में होना अत्यंत आवश्यक है। पर बहुत अफसोस की बात है कि 100 साल बीत जाने के बावजूद भी अभी तक राजनीतिक दृष्टिकोण से भारतीय वैज्ञानिकों को नोबेल के लिए नॉमिनेट नहीं किया जा सका जो भारतीयों के लिए एक चिंता का विषय बनता जा रहा है जिसको लेकर लेखक ने अपने भाव विचार भारतीय संस्कृति को समाज हित में प्रस्तुत किया गाया कि यदि नोबेल नहीं तो क्या आदिकाल से हमारे कार्य विश्व स्तर पर बहुत ही उल्लेखनीय रहे हैं उल्लेखनीय कार्यों में भारतीय पाइथागोरस थ्योरम, जीरो का आविष्कार आदि आदि विश्व स्तर पर पहचान बनाए हैं जो आज भी चर्चा का विषय बने हुए हैं भारतीय वैज्ञानिकों व युवा पाठकों विज्ञान पर शोध करने वाले छात्रों का मनोबल बढ़ाने हेतु हमारे भारतीय वैज्ञानिक किस प्रकार से संघर्ष करते हुए चुनौतियों को साकार करते हुए अपनी सूझबूझ ज्ञान से समय-समय पर चमत्कार करते रहे हैं। इस पुस्तक में जीवन परिचय बायोग्राफी को सराहा गया है वर्तमान समय में बढ़ती जनसंख्या और बढ़ती तकनीकी के क्षेत्र में नए वैज्ञानिकों ने अपने पैर पसारने शुरू किए हैं जिस में महिलाओं का योगदान सर्वश्रेष्ठ उल्लेखनीय है जो विश्व स्तर में जाकर विभिन्न प्रकार के चमत्कारिक कार्य कर रही हैं/ लेखकों के द्वारा पुरुषों की तुलना करते हुए महिलाओं को बढ़ावा दिया गया है जिसमें लगभग 80 भारतीय महिला वैज्ञानिकों के बारे में बताया गया है। पर उनके द्वारा किए गए आति महत्वपूर्ण कार्यों को समाजहित में उजागर व उनकी पहचान दिलाने के उद्देश्य से लेखकों ने बायोग्राफिक जीवन परिचय कार्यकुशलता को इस पुस्तक में भली-भांति बयान किया है। समाज हित में किया गया यह अति महत्वपूर्ण कार्य भारत की प्रतिष्ठित संस्था बहुआयामी शिक्षा तकनीकी अनुसंधान ऑर्गनाइजेशन के माध्यम से उनके पदाधिकारियों ( के.एम.आमिश ) के सहयोग से व बहुआयामी प्रकाशक के द्वारा इस पुस्तक का सफलतापूर्वक प्रकाशन किया गया है जिसके लिए बहुआयामी परिवार समस्त सहयोगी साथियों को तहे दिल से आभार व धन्यवाद पेश करते हैं। प्रकाशक व संस्था लेखक निवेदन व आशा करते हैं कि यह पुस्तक आपको एक सीख अवश्य देकर जाएगी।